किरण राव की वजह से लापता लेडीज का क्लाइमैक्स बना शानदार, बोले रवि किशन

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ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म लापता लेडीज के एक्टर, पॉलिटिशियन, सिंगर रवि किशन ने साहित्य आजतक के आखिरी दिन मंच की रौनक बढ़ाई. रवि 750 फिल्में कर चुके हैं, इस बीच उन्होंने कई तरह के सिनेमा में अपना योगदान दिया. रवि ने बताया किमैं एक पुजारी का लड़का हूं, थियेटर करता था, रामलीला में सीता का रोल करता था. पिता से मार भी खाता था. ये तो लोगों का प्यार है बस कि ये मुकाम मिला है.

रवि ने बताया कि 34 साल के करियर में मैंने अपनी पहचान की लड़ाई लड़ी. सारी भाषाओं की फिल्में की, टीवी पर भी देखा. फिर किरण राव मेरी जिंदगी में आईं, जिन्होंने मुझे लापता लेडीज दी. अब जो दिख रहा है ये रवि किशन इसके पीछे बहुत स्ट्रगल रहा है. अब जिसे आप मुंबई कहते हैं उस बॉम्बे की सड़कों को चप्पलों में छान मारा है. कई यूथ मिलते हैं बोलते हैं हम लोगों का क्या होगा? आप लोगों को मैं कहूंगा कोई गॉडफादर नहीं, किसी ने मेरी मदद नहीं की. लेकिन इतना पता था कि एक दिन मेरा भी सूर्योदय होगा. महादेव ने मुझे यहां रखा है, लापता लेडीज ने ऑस्कर तक पहुंचाया, अब साहित्य आजतक के मंच पर बैठा हूं.

किरण राव ने खोले अलग अलग डिपार्टमेंट

रवि बोले- मैं पहली बार रिवील कर रहा हूं, लोग कहते हैं कि कहां से तुम इतने ऑर्गेनिक रहते हो, जब स्क्रीन पर आते हो फ्रेश सीन देकर जाते हो. तो मैं बता दूं कि मैं आप लोगों सीखता हूं, आपको ही रीड करता हूं. वही मेरे काम आता है. तो मुझे बिहार में एक ऑफिसर मिले थे हमको, वो ऐसे ही थे. उनका किरदार मैंने लापता लेडीज में अपनाया, उनको मैंने जहन में रखा था. वो ऐसे ही बोलते थे, जैसा कि मैंने पुलिस ऑफिसर बनकर पान मुंह में रख कर बोलता था.बोलते हैं ना वुमन डायरेक्टर बहुत जरूरी है लाइफ में, चाहे वो वाइफ है, चाहे मां हो, जरूरी है, अच्छा रहता है. वहीं कोई आदमी होता तो मुझे कहता कि तुम थप्पड़ मारो और हीरो बन जाओ. लेकिन नहीं किरण राव थी वो तो इतना इम्पैक्ट रखा, जो कि कानून के दायरे में था.

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भोजपुरी को दिलाना है सम्मान

रवि किशन इसी के साथ IPL भोजपुरी की कमेंट्री भी कर चुके हैं. यहां भी उनकी खूब तारीफ हुई थी. रवि बोले- मैंने जान के वो सब किया था. जो एक क्लासी माना जाता था वहां मैंने भोजपुरी में फन एलिमेंट दिया तो वाहवाही हो गई. मुंबई में जब था तो लोग कहते थे कि ये तो भाजीवाला है, दूध वाला है. तो मैंने सोच लिया था कि एक दिन इसे सम्मान दिलाऊंगा. भोजपुरी इंडस्ट्री के थर्ड फेज की शुरुआत मैंने ही की थी.लेकिन भोजपुरी एक्टर ने बताया कि वो अपने जूनियर एक्टर्स से आजकल बहुत दुखी रहते हैं. उन्होंने इसका स्तर नीचे गिरा दिया है. भोजपुरी 25 करोड़ लोगों की बोली जाने वाली बोली है. बहुत प्राउड है इस पर. मैंने इसे एक अलग महत्वता दिलाने का भी बिल पेश किया है.

''मेरे पास पहले पैसे नहीं थे दिन रात मेहनत किया, पैसा बनाया, इंडस्ट्री बनाई. मैंने तेरे नाम की सलमान खान के साथ. लेकिन वैसे मैं कैरेक्टर आर्टिस्ट बनकर रह जाता. मैं गुमनाम मौत नहीं मरना चाहता था. मैं चाहता हूं कि पड़ोसी तो मुझे जाने लेकिन और लोग भी जाने. मैं बिना किसी पहचान के नहीं मरना चाहता. आपने जो प्रकृति से लिया है उसे लौटाना भी जरूरी है. तो सीखे, कमाएं और लौटाएं. मैंने भी अपने पिता से ज्ञान लिया, मेरे वही गुरू हैं. सांसद बनकर लोगों की सहायता करता हूं, राजनीति नि:स्वार्थ करता हूं, शूटिंग के पैसों से घर चलाता हूं. यहीं प्रधानमंत्री मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी जी से सीखा है.''

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एक हो तो रहोगे बंटोंगे तो कटोगे के नारे का मतलब क्या?

रवि किशन बोले- क्यों हमें ही बताया गया कि आप ब्राह्मण हैं, कुश्वाहा हो, ये हो वो हो, बाकी समुदाय में क्यों नहीं कहा जाता. मैं सांसद हूं तो बोल सकता हूं, मैं लेटर दे देकर आयुष्मान योजना लाभ उठाता हूं. प्रधानमंत्री योजना से इलाज कराता हूं. तो जब वोट की बारी आती है तो क्यों एक भी नहीं आता. मुझे भी नहीं आता वोट के मामले में ऐसा क्यों? तब जाकर योगी जी ने कहा, महाराज जी ने कहा कि एक रहोगे तो सेफ रहोगे, बंटोगे तो कटोगे. सिर्फ दंगा वाली बात क्यों, जब वोट करें तो हिंदू बनकर करें, इससे अलग नहीं. हम लोग तो आपस में ना बिखरें. भारत को आगे लेकर चलना हैं.

जनता के सवालों का भी रवि किशन ने जवाब दिया और बताया कि 2047 में आप देखेंगे भारत कितना विकास कर चुका है. कभी कास्ट के चक्कर में ना पड़ें, किसी डर में ना पड़ें. हर किसी का सम्मान करें, ना तुम पंडित-ना तुम पासी, तो किसी जाति के चक्कर में ना पड़ें. एक रहें और एक जैसा सम्मान करें. बस यही इच्छा है कि लापता लेडीज को ऑस्कर मिले.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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